स्वर्ग प्राप्ति का सच्चा साधन

                               स्वर्ग प्राप्ति का सच्चा साधन  : कहानी 





फ्रांसिस  का जन्म इटली के एक सम्रद्ध परिवार में हुआ था । युवावस्था में वह किसी गंभीर बीमारी  ग्रस्त हो गए । अनेक इलाजों के बाद भी जब उनके बचने की कोई आशा न रही , तो उन्होंने अपने को ईश्वर को समर्पित कर दिया । एक दिन उन्हें अनुभूति हुई की प्रभु ईशा पास खड़े हैं और उनसे कह रहे हैं , धन - संपत्ति के मोह से मुक्त होकर अपना जीवन मानव - सेवा के लिए समर्पित करने का संकल्प लो । प्रत्येक मानव से , यहाँ तक की निरीह पशु - पक्षियों से भी प्रेम करो । मृत्यु स्वतह दूर भाग जाएगी । इसके बाद फ्रांसिस निरोग होते गए ।

एक दिन उन्होंने अपने पिता से कहा , मुझे प्रभु ईशा से इस शर्त पर दान मिला है कि मैं अपना सर्वस्व गरीबों की सेवा - सहायता में बिताऊंगा । क्रोद्ध होकर पिता ने उसे संपत्ति से वंचित कर घर से निकल दिया ।  फ्रांसिस भिक्षुक बनकर दिन दुनिया की सहायता में जुट गए ।

ईशा मसीह के जन्मदिन पर एक धनी व्यक्ति ने चर्च में भव्य समारोह का आयोजन किया । फ्रांसिस ने उस व्यक्ति से कहा , ईशा इस प्रकार के निरर्थक प्रदर्शन से खुश नहीं होंगे । उन्हें खुश करना है , तो आवश्यकता के अनुसार धन - संपत्ति अपने पास रखो , शेष गरीबों और जरुरतमंदों के कल्याण में लगा दो । यही स्वर्ग प्राप्ति का सच्चा साधन है । उस धनि व्यक्ति ने अपनी तमाम संपत्ति जनकल्याण के कार्य में लगा दी ।

उददेश्य :  प्रभु ईशा को खुश करने के लिए अपना धन गरीबों के कल्याण में लगाओ ।


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